- Get link
- Other Apps
श्रीहनुमानलला की आरती
Hanuman ji ki Aarti :
श्रीहनुमानलला की आरती
आरती कीजै हनुमानलला की,
दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे,
रोग दोष जाके निकट न झांपै।
रोग दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनिपुत्र महा बलदायी,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये,
लंका जारि सिया सुधि लाये।
लंका जारि सिया सुधि लाये।
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।
जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे,
सियारामजी के काज संवारे।
सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे,
आनि संजीवन प्रान उबारे।
आनि संजीवन प्रान उबारे।
पैठि पताल तोरि जम-कारे,
अहिरावन की भुजा उखारे।
अहिरावन की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे,
दहिने भुजा सन्तजन तारे।
दहिने भुजा सन्तजन तारे।
सुर नर मुनि आरती उतारे,
जय जय जय हनुमान उचारे।
जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई,
आरति करत अंजना माई।
आरति करत अंजना माई।
Comments
Post a Comment